मिल्खा सिंह जिन्हो ने भारत को खेल जगत में एक नहीं पहचान दिलाई जिन्हो ने अपने जीवन में खेल के जरिये अपने देश को एक नई पहचान दिलाई | यही मिल्खा सिंह का निधन हुआ हे वो भी कोरोना के चलते |

क्यों है चर्चा में ?
भारत के महान फिल्ड धावक मिल्खा सिंह का कोरोना के कारण अपनी जिंदगी को १८ जून २०२१ को अलविदा कह चुके हे | मिल्खा सिंह को ‘फ्लाइंग सिख’ के नाम से भी जाना जाता है | मिल्खा सिंह के आखिर समय उनका इलाज Chandigarh में चल रहा था | मिल्का सिंह को आखरी महीने कोरोना हुआ था है हलाकि उनको हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई थी लेकिन बाद में ऑक्सीज़न की कमी के कारण इन्हे फिरसे पीजीआई अस्पताल में भर्ती किया गया था |

कौन थे मिल्खा सिंह ?
मिल्खा सिंह का जन्म 10 नवम्बर 1929 को गोविंदपुर में हुआ था जो अभी पाकिस्तान का हिस्सा हे | इनका जन्म सिख परिवार में हुआ था | मिल्खा सिंह ने अपने माता-पिता को भारत पाकिस्तान के विभाजन के बाद खो दिया था | इसके बाद खेल में अपनी रूचि के कारण इन्हों ने २००मी और ४००मी सफलतापूर्वक की और मिल्खा सिंह भारत के सफल धावक है | इतना ही नहीं मिल्खा सिंह कुछ समय तक ४०० मि के लिए विश्व में भी टॉप पर रह चुके हे |
मिल्खा सिंह को पाकिस्तान की और से भी दौड़ में हिस्सा लेने का आमंत्रण मिला लेकिन पहले जो हो चूका था इसके चलते इन्हों ने उन्हें इंकार कर दिया लेकिन कुछ कारणों के चलते इन्हे हिस्सा लेना पड़ा था |
इन्हों ने भारत के लिए पहली बार १९५६ में हिस्सा लिया था इस समय उनके पास वो अनुभव नहीं था जो उनको एक विश्वस्तर पर पुरस्कार दिला सके लेकिन १९५८ में एसीएन गेम्स में उन्होंने २००मी और ४००मी की दौड़ में गोल्ड मैडल दिलाया |
मिल्खा सिंह को जब पाकिस्तान से न्योता मिला तो इन्होने वो ठुकरा दिया था लेकिन उस समय वडाप्रधान जवाहरलाल नेहरू थे उन्हों ने मिल्खा सिंह को समझाया और पाकिस्तान में दौड़ के लिए मिल्खा सिंघ को जाना पड़ा जहा पर उनकी टक्कर अब्दुल खालिक के साथ थी सबको लगता था की ये दुबला पतला सिंह क्या कर लेगा | इन सबको मिल्खा सिंह ने अपने खेल से जवाब दिया | मिल्खा सिंह ने अब्दुल खालिक को बुरी तरह से हराया और उसी वक्त वह पर १०००० औरते बुरखे वाली थी सब ने अपना बुरखा हटाया इन धावक को देखने ले लिए |

इसी खेल के चलते पाकिस्तान के एक पत्रकार ने कहा की मिल्खा भागा नहीं किन्तु हवा के साथ बाटे करते हुए उड़ा हे इसी के चलते इन्हे Flying Sikh की उपाधि मिली |
मिल्खा सिंह का विवाह निर्मल कौर से हुआ था जो इंडियन वूमेन वॉलीबॉल टीम की कप्तान रह चुकी हे | और इनका बेटा जीव मिल्खा सिंह एक अच्छा गोल्फर है |
जीवनी | Biography | विकिपीड्या
पूरा नाम | मिल्खा सिंह |
उपनाम | फ़्लाइंग सिख |
जन्म | 20 नवम्बर 1935 |
जन्म स्थल | गोविंदपुर (हाल पाकिस्तान ) |
वजन | ७० kg |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
उपलब्धियां | 1958 के एशियाई खेलों में 200 मी व 400 मी में स्वर्ण पदक, 1958 के कॉमनवेल्थ खेलों में |
मिल्खा सिंह मूवी
मिल्खा सिंह ने अपनी बेटी के साथ मिलकर अपनी ही बायोग्राफी की किताब लिखी थी जिनका नाम “The Race Of My Life ” था | इसी बायोग्राफी से प्रभावित होकर प्रचलित बॉलीवुड निर्देशक राकेश ओम प्रसाद महेरा ने उनके जीवन पर एक फिल्म बनाई थी यह फिल्म १२ जुलाई २०१३ को रिलीज हुई थी | इस फिल्म में मिल्खा सिंह का किरतार भारत के जाने माने कलाकार फराह अख्तर ने निभाया था |
मिल्खा सिंह का जीवन
१९५८ में मिल्खा सिंह के अच्छे प्रदशन को देखते हुए इन्हे सेना में जाने का मौका मिला था | मिल्खा सिंह को Junior Commissioned Officer के पद के लिए पुरस्कृत किया गया इसके अलावा मिल्खा सिंह को पंजाब के शिक्षा क्षेत्र में खेल निर्देशक के तौर पे नियुक्त किया गया और १९९८ में मिल्खा सिंह निवृत हो गए थे |
Milkha Singh Marrige
मिल्खा सिंह की शादी निर्मला कौर से हुई थी और इनके तीन बेटिया और एक बेटा है | इनके बेटे का नाम जिव मिल्खा सिंह हे और वह एक प्रख्यात गोल्फ खिलाडी है | और आपको एक बात बतादें की मिल्खा सिंह के पत्नी का निधन उनके निधन के एक सप्ताह पहले ही हुआ था |
मिल्खा सिंह का जन्म कब हुआ?
20 नवंबर 1929
मिल्खा सिंह की उम्र क्या है?
91
मिल्खा सिंह के पत्नी का नाम ?
निर्मल कौर
मिल्खा सिंह के पुत्र का नाम ?
जीव मिल्खा सिंह
मिल्खा सिंह का मृत्यु कब हुआ ?
18 जून 2021
मिल्खा सिंह की उपलब्धियाँ
साल 1957 में मात्र ४७.५ सेकंड के अंदर १००मी में अपने नाम कीर्तिमान दर्ज किया था |
साल 1958 टोकियो में आयोजित हुए तीसरे एशियाई गेम्स में ४००मि और २०० मीटर की दौड़ में और दो नए कीर्तिमान अपने नाम किए और दोनों खेल में मिल्खा सिंध ने गोल्ड मैडल अपने देश को दिलाया और इसी साल में मिल्खा सिंह ने कॉमनवेल्थ गेमस में और एक गोल्ड मैडल जीता |
साल 1959 मिल्खा सिंह के अच्छे प्रदशन और उनके खेल को देखते हुए भारत सरकार ने इन्हे चौथे सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री से सन्मानित किया था |
इसी साल 1959 में मिल्खा सिंह ने एक और एशियाई गेम्स में गोल्ड मेडम जीता और ये ४०० मीटर दौड़ के लिए इन्हे मिला था | यह एशियाई गेम्स इंडोनेसिया में हुआ था |
मिल्खा सिंह ने इसी के साथ 1960 और 1962 में भी गोल्ड मैडल जीता था जो भी एशियाई गेम्स में ही आया था |
इन सारे पुरस्कार को मिल्खा सिंह के देश के नाम करदिये थे पहले इन्हे जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम में रखा जाता था बाद में इन्हे पटियाला के एक म्यूज़ियम में रखा जाता है |
मिल्खा सिंह निधन
मिल्खा सिंह का निधन १८जुन २०२१ को कोरोना के कारण हुआ था | ऑक्सीज़न की कमी के कारण मिल्खा सिंह का देहांत हुआ था और भारत वर्तमान प्रधानमंत्री ने मिल्खा सिंह को tweet कर श्रद्धांजलि दी थी |
मिल्खा सिंह ने अपने पुरे जीवन में देश को कैसे खेल के क्षेत्र में आए लाया जय उसीके बारे में बात की थी और उनका प्रयन्त देश को ज्यादा से ज्यादा खेल के क्षेत्र में आगे लाना ही था इसके साथ उन्हों ने अपने shoes जो की उन्हों ने एशियन गेम्स में पहने थे उनको भी नीलामी में देकर एक सामजिक संस्था की मदद थी |
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